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गाँव में रोजगार /Pol sc chep 08 ✍️ AGT

गाँव में रोजगार


भारत के गाँवों में अधिकतर लोगों का पेशा कृषि है। खेतीबारी के अलावा गाँवों में लोग कुछ अन्य काम भी करते हैं।

किसान

भारत के किसानों को तीन प्रकारों में बाँटा जा सकता है: बड़ा किसान, छोटा किसान और भूमिहीन किसान

बड़ा किसान: कुछ मुट्ठी भर किसान ही इस श्रेणी में आते हैं। गाँव की अधिकांश जमीन इन्हीं के पास होती है। उनकी खेतों से इतनी उपज होती है कि उनके परिवार की सारी जरूरतें पूरी हो जाती हैं तथा शेष बाजार में भी बिक जाता है। कई बड़े किसान खेती से संबंधित व्यवसाय भी करते हैं; जैसे आटा मिल, खाद और बीज की दुकान, आदि। वे अपने कृषि उपकरण (ट्रैक्टर, थ्रेशर) को किराये पर भी लगाते हैं। बड़े किसानों को अपने खेत पर काम नहीं करना पड़ता है, बल्कि वे मजदूरों को काम पर लगाते हैं।

छोटा किसान: किसानों की एक बड़ी संख्या इस श्रेणी में आती है। उनके खेतों में बस इतना उपज जाता है कि उनके परिवार का भरण पोषण हो सके। अधिकतर छोटे किसान खुद ही अपने खेतों पर काम करते हैं। कुछ किसान मजदूरों को भी काम पर लगाते हैं। कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो दूसरों के खेतों पर भी काम कर लेते हैं ताकि कुछ अतिरिक्त आमदनी हो जाये।

भूमिहीन किसान: अधिकतर गाँवों में भूमिहीन किसानों की संख्या बहुत अधिक है। ऐसे किसान अक्सर दूसरों की जमीन पर काम करते हैं। इन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती है। ऐसे किसानों के परिवार के हर सदस्य मेहनत मजदूरी में लगे रहते हैं। उनकी कमाई इतनी कम होती है कि उनके परिवार का ठीक से भरण पोषण नहीं हो पाता है।

भारत में खेती से साल के कुछ ही महीनों में रोजगार उत्पन्न होता है। मजदूर साल के कुछ ही महीनों में व्यस्त रहते हैं; जैसे जुताई, बुआई, निराई और कटाई के समय। बाकी महीनों में मजदूरों के पास कोई काम नहीं होता है।

मंदी के महीनों में कई भूमिहीन किसान काम की तलाश में पास के शहरों में चले जाते हैं। कई तो बड़े शहरों के लिए पलायन कर जाते हैं। सरकार की रोजगार सृजन योजनाओं के कारण कई मजदूरों को पास के गाँवों में सड़कें और बांध निर्माण में भी काम मिल जाता है।

पशुपालन

अतिरिक्त आय के लिए कुछ किसान पशुपालन भी करते हैं। ऐसे किसान दूध को अक्सर सहकारी समिति को बेच देते हैं। कुछ पास के शहरों में दूध बेचने चले जाते हैं। कुछ किसान मुर्गी पालन भी करते हैं।

अन्य पेशे

गाँव में कई अन्य पेशे के लोग भी देखने को मिलते हैं। आपको बड़े गाँव में जेनरल स्टोर, दवा की दुकान, चाय पान की दुकान, आदि मिल जायेगी। कुछ लोग साइकल मरम्मत, बढ़ईगिरी, गुड़ बनाना, आदि कामों को करते हैं।

मछली पकड़ना

कुछ गाँवों में (खासकर तटीय इलाकों में) मछली पकड़ना मुख्य व्यवसाय है। अधिकतर मछुआरों के पास छोटी नाव और कुछ मामूली उपकरण होते हैं। कुछ गिने चुने मछुआरों के पास बड़ी कैटामेरन होती है जिसमें मोटर भी लगा रहता है। बड़ी कैटामेरन से वे गहरे समंदर में जा सकते हैं। मछली पकड़ने का काम बहुत जोखिम भरा है जिसमें कई घंटों तक किनारे से दूर रहना पड़ता है।

खेतों की पैदावार के लिए बाजार

कटाई के महीनों में फसल की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। ऐसे में किसानों को अपनी फसल औने पौने दामों में बेचनी पड़ती है। कई बार बिचौलिये भी उन्हें फसल कम कीमत पर बेचने को मजबूर करते हैं। कई बार इसमें साहुकारों का भी हाथ होता है। सरकार किसानों की मदद करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है। कटाई के महीनों में फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफ सी आइ)‌ द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी जाती है।

ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज की स्थिति

किसानों को कई बार खाद, बीज और कृषि उपकरण खरीदने के लिए कर्ज लेना पड़ता है। बड़े किसानों को तो आसानी से बैंक से ऋण मिल जाता है। लेकिन छोटे किसानों को इसमें मुश्किल होती है। इसलिए छोटे किसानों को जमींदारों और साहुकारों की आस रहती है। ऐसे में ब्याज दर बहुत ऊँची होती है। इससे अक्सर छोटे किसान कर्ज तले दब जाते हैं। अक्सर ऐसा होता है कि किसान की आय का अधिकतम हिस्सा कर्ज को चुकता करने में चला जाता है। अगर किसी प्राकृतिक विपदा के कारण फसल चौपट हो जाती है तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है।

Questions answers

प्रश्न 1: आपने सम्भवत: इस बात पर ध्यान दिया होगा कि कलपट्टु के लोग खेती के अलावा और भी कई काम करते हैं। उनमें से पाँच कामों की सूची बनाइए।

उत्तर: कलपट्टु के लोग खेती के अलावा कपड़ा धोने, बुनने, नाई, शिक्षक और नर्स आदि का काम करते हैं।

प्रश्न 2: कलपट्टु में विभिन्न तरह के लोग खेती पर निर्भर हैं। उनकी एक सूची बनाइए। उनमें से सबसे गरीब कौन है और क्यों?

उत्तर: कलपट्टु में बड़े किसान, छोटे किसान और भूमिहीन किसान सभी खेती पर निर्भर हैं। भूमिहीन किसान उनमें सबसे गरीब होते हैं, क्योंकि उनके पास अपनी ज़मीन नहीं होती है। वे अपने जीवन-यापन के लिए और भी कई छोटे छोटे काम करते तो हैं, लेकिन उससे भी उन्हें बहुत कम मजदूरी मिलती है।

प्रश्न 3: कल्पना कीजिए कि आप एक मछली बेचने वाले परिवार की एक सदस्य हैं। आपका परिवार यह चर्चा कर रहा है कि इंजन के लिए बैंक से उधार लें कि न ले। आप क्या कहेंगी?

उत्तर: मैं इंजन खरीदने के लिए बैंक से उधार लेना चाहूँगी, क्योंकि बैंक का ब्याज दर कम होता है। कैटामरैन (मछुआरों की खास तरह की छोटी नाव) में इंजन लग जाने से गहरे पानी में जाना आसान हो जाएगा। इससे मछली ज्यादा पकड़ी जायेगी और आमदनी में भी बढ़ोत्तरी होगी। इससे कारगर योजनाओं के साथ समय पर ऋण चुकाना भी आसान हो जाएगा।

प्रश्न 4: तुलसी जैसे गरीब ग्रामीण मजदूर के पास अच्छी शिक्षा, स्वास्थय की सुविधाओं और अन्य साधनों का अभाव होता है। आपने इस किताब की पहली इकाई में असमानता के बारे में पढ़ा। तुलसी और रामलिंगम के बीच का अंतर एक तरह का असमानता ही है। क्या यह एक उचित स्थिति है? आपके विचार में इसके लिए क्या किया जा सकता है? कक्षा में चर्चा कीजिए।

उत्तर: तुलसी और रामलिंगम के बीच का अंतर एक अच्छी स्थिति नहीं है। ये असमानता उनकी आय में अंतर के कारण उत्पन्न हुई है। इसके लिए सरकार को तुलसी जैसे किसानों की स्थिति में सुधार के लिए कुछ ठोस कदम उठाने चाहिए। न्यूनतम मजदूरी दर को कड़ाई से लागू करना चाहिए, जिससे तुलसी जैसे मजदूर की आय बढ़ सके। ग्रामीण रोजगार योजना के तहत तुलसी जैसे मजदूर को रोजगार मुहैया करवाना चाहिए।

प्रश्न 5: आपके अनुसार सरकार शेखर जैसे किसानों को कर से मुक्ति दिलाने में कैसे मदद कर सकती है? चर्चा कीजिए।

उत्तर: सरकार को एक ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए कि शेखर जैसे मजदूर अपनी उपज कर्जदारो के हाथों बेचने को मजबूर न हो। न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ शेखर जैसे किसानों के पास पहुँचना चाहिए। कटाई के समय फसलों की खरीदारी में सरकार को शेखर जैसे छोटे किसानों को प्राथमिकता देनी चाहिए।


Extra Questions Answers

प्रश्न 1: हमारे देश के ग्रामीण परिवारों में कितना प्रतिशत खेतिहर मजदूर हैं?

उत्तर: हमारे देश के ग्रामीण परिवारों में 40 प्रतिशत खेतिहर मजदूर हैं।

प्रश्न 2: भारत में कितने प्रतिशत किसान बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं?

उत्तर: भारत में 20 प्रतिशत किसान बड़े किसानों की श्रेणी में आते हैं।

प्रश्न 3: सीढ़ीनुमा खेती क्या होती है? इसमें किस चीज की खेती होती है?

उत्तर: पहाड़ी की ढ़लाऊ ज़मीन को छोटे छोटे सपाट टुकड़ों में बाँट दिया जाता है और उस जमीन को सीढ़ियों के रूप में बदल दिया जाता है। प्रत्येक सपाट टुकड़े के किनारों को उपर उठा दिया जाता है, जिससे पानी ठहरा रह सके। इसमें चावल की खेती सबसे अच्छी तरह से होती है।

प्रश्न 4: भारत के किसान साल के ज्यादातर महीने खाली क्यों रहते हैं?

उत्तर: भारत की खेती का आधार मौसमों पर टिका है। इसलिए साल के कुछ महीने ही इससे रोजगार मिल पाता है। मजदूर साल के कुछ महीने ही जुताई, बुआई, निराई और कटाई जैसे कृषि कार्य में व्यस्त रहते हैं। बाकी महीनों में उसके पास कोई काम नहीं रहता है।

प्रश्न 5: भारत में फसलो की बिक्री के बाजार की क्या स्थिति है?

उत्तर: यहाँ के बाजार में कटाई के समय फसलों की अच्छी कीमत नहीं मिल पाती है। ऐसे में किसानों को अपना अनाज औने पौने दामों में बेचना पड़ता है। कई बार बिचौलिए और साहुकारों के कारण भी उन्हें अपना अनाज कम दामों में बेचने को मजबूर होना पड़ता है। सरकार किसानों की मदद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करती है। फूड कार्पोरेशन आफ इंडिया(एफ सी आइ) द्वारा कटाई के महीने में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर अनाज खरीदा जाता है।

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