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क्या, कब, कहाँ, और कैसे? /History class 06 ✍️ AGT

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क्या, कब, कहाँ, और कैसे?


इतिहास का क्या मतलब है?

मानव के बीते हुए कल की कहानी को इतिहास कहते हैं। मानव समाज में विभिन्न कालों में तरह तरह के बदलाव हुए हैं। इतिहास से हमें इन बदलावों का पता चलता है।


इतिहास का महत्व:

  • इतिहास से हमें बीते हुए कल के राजाओं, साम्राज्यों और समाज के बारे में पता चलता है।
  • इतिहास से हमें यह पता चलता है कि भूतकाल में लोग कैसे रहते थे, क्या खाते थे और क्या पहनते थे।
  • इतिहास हमें उन लोगों के पेशे के बारे में बतलाता है।
  • इतिहास से हमें अपने पूर्वजों की महान उपलब्धियों के बारे में पता चलता है।
  • इतिहास से हमें अपने पूर्वजों द्वारा की गई गलतियों के बारे में पता चलता है।
  • इतिहास से हमें यह भी पता चलता है कि किसी खास काल में बच्चे किस तरह के खेल खेला करते थे।
  • इतिहास से हम सबक लेते हैं ताकि एक बेहतर भविष्य बना सकें।

लोग कहाँ रहते थे


भारतीय उपमहाद्वीप में प्रागैतिहासिक काल में लोग निम्नलिखित स्थानों पर रहते थे:

  • नर्मदा नदी के तट पर
  • उत्तर-पश्चिम में स्थित सुलेमान और किरथर पहाड़ियों पर
  • पूर्वोत्तर की गारो पहाड़ियों पर और मध्य भारत की विंध्य पहाड़ियों पर
  • सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पास
  • गंगा और सोन नदियों के किनारे

नर्मदा नदी: कई हजार वर्षों तक लोग नर्मदा नदी के नजदीक रहते थे। वे लोग शिकार करते थे, या फिर कंद-मूल-फल इकट्ठा करते थे। ऐसे लोग किसी एक स्थान पर नहीं रहते थे, बल्कि खानाबदोश या बंजारे थे।

सुलेमान और किरथर की पहाड़ियाँ: इन पहाड़ियों में लोग लगभग 8000 वर्ष पहले रहते थे। वे उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने खेती की शुरुआत की थी। वे गेहूँ और जौ की खेती करते थे। ये लोग भेड़, बकरी तथा गाय-बैलों को पाला करते थे। ये लोग एक स्थाई जीवन जीवन जीते थे, यानि एक ही स्थान पर टिक कर रहते थे। इसी समय के आसपास गांवों का निर्माण होने लगा था।

गारो और विंध्य की पहाड़ियाँ: गारो की पहाड़ियों में रहने वाले लोग उन पहले लोगों में से थे जिन्होंने धान की खेती शुरु की। विंध्याचल के उत्तर की तरफ भी धान की खेती होती थी।

सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ: सिंधु और उसकी सहायक नदियों के आस पास आरंभिक शहरों का विकास लगभग 4700 वर्ष पहले हुआ।

गंगा और सोन: गंगा नदी के किनारों पर शहरों का विकास लगभग 2500 वर्ष पहले शुरु हुआ। कुछ शहर सोन जैसी सहायक नदियों के किनारे भी विकसित हुए। कुछ शहरों का विकास समुद्री तटों पर भी हुआ।

हमारे देश के कई नाम

हमारे देश के कई नाम हैं; जैसे कि आर्यवर्त, जंबूद्वीप, भारतवर्ष, भारत, हिंदुस्तान, इंडिया, आदि। आजकल इंडिया, हिंदुस्तान और भारत काफी प्रचलित हैं। अब देखते हैं कि हमारे देश के इन नामों के पीछे क्या कहानी है।

इंडिया: ईरान और ग्रीस के लोग भारत के उत्तर पश्चिमी इलाकों में आया करते थे। इसलिए वे सिंधु (इंडस) नदी के बारे में जानने लगे। वे इस नदी को इंडोस या हिंदोस कहते थे। इस तरह से सिंधु नदी के पूर्व की ओर पड़ने वाले इलाके का नाम इंडिया पड़ा।

भारत: भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर पश्चिमी भाग में रहने वाले लोगों को भरत कहा जाता था। (इनका जिक्र ऋग्वेद में किया गया है।) इसलिए इस भूभाग का नाम भारत पड़ा।


इतिहास के स्रोत

इतिहास के कुछ स्रोतों के बारे में आगे बताया गया है:

  • पांडुलिपी
  • अभिलेख
  • सिक्के
  • पुरातत्व स्थल

पांडुलिपी: हाथ से लिखी हुई किताब को पांडुलिपी कहते हैं। छपाई (प्रिंटिंग) की तकनीक के आविष्कार से पहले किताबों को हाथों से लिखा जाता था। शुरु की पांडुलिपियों को ताड़ के पत्तों या फिर भोजपत्र पर लिखा जाता था। पुरानी पांडुलिपियों से धार्मिक विश्वास और रीतियों, राजाओं, दवाइयों, विज्ञान, कविताओं, आदि के बारे में प्रचुर जानकारी मिलती है।

अभिलेख: किसी पत्थर पर उकेरे हुए लेख को अभिलेख कहते हैं। किसी पांडुलिपी की तुलना में अभिलेख बहुत लंबे समय के लिए संरक्षित रह सकता है। ज्यादातर अभिलेखों में किसी राजा की घोषणा या आदेश मिलते हैं। ऐसी घोषणाओं को अभिलेखों पर इसलिए लिखवाया जाता था ताकि अधिक से अधिक लोग उन्हें पढ़ सकें। कुछ अभिलेखों में राजाओं, व्यापारियों और अन्य लोगों द्वारा किये गये अच्छे कामों के बारे में लिखा जाता था। ऐसे अभिलेख अक्सर संस्कृत या प्राकृत या तमिल में लिखे गये थे।

सिक्के: सिक्के पर अक्सर उसे जारी करने वाले राजा की तस्वीर रहती है। इसलिए सिक्के से उस समय के राजा के बारे में पता चलता है। सिक्कों से उस जमाने के कारीगरों की महारत के बारे में पता चलता है। सिक्कों की शुरुआत सबसे पहले प्राचीन ग्रीस में 600 ईसा पूर्व हुई थी।


पुरातत्व स्थल: जिस स्थान से ऐतिहासिक अवशेष मिलते हैं इसे पुरातत्व स्थल कहते हैं। भवन और स्मारक भी पुरातत्व स्थल की श्रेणी में आते हैं। ऐसे स्थानों से मिलने वाले पुरावशेष और अन्य वस्तुओं से बीते जमाने के बारे में प्रचुर जानकारी मिलती है।

पुरातत्वविद: पुरावशेषों के अध्ययन के विशेषज्ञ को पुरातत्वविद कहते हैं।

तारीख का मतलब

तारीखों की मदद से हमें घटनाओं को एक खास क्रम में रखने में सहूलियत होती है। इसलिए इतिहास का अध्ययन करते समय तारीखों का बहुत महत्व होता है। इतिहास के बारे में चर्चा करते हुए तारीखों के लिए BC (ई पू) और AD (ईसवी) का इस्तेमाल होता है। BC का मतलब होता है ईसा से पहले। AD का मतलब होता है ‘Anno Domini’ यानि ‘ईश्वर के साल में’। कभी कभी AD की जगह CE (कॉमन एरा) का भी इस्तेमाल होता है। इसी तरह BC की जगह BCE का इस्तेमाल होता है।

प्रश्न 1: निम्नलिखित को सुमेलित करें।

कॉलम ।कॉलम ॥
(a) नर्मदा घाटी(1) पहला बड़ा राज्य
(b) मगध(2) आखेट तथा संग्रहण
(c) गारो पहाड़ियाँ(3) लगभग 2500 वर्ष पूर्व के नगर
(d) सिंधु और उसकी सहायक नदियां(4) आरंभिक कृषि
(e) गंगा घाटी(5) प्रथम नगर

उत्तर:(a) 2, (b) 1, (c) 4, (d) 5, (e) 3


प्रश्न 2: पाण्डुलिपियों और अभिलेखों में एक प्रमुख अंतर बताओ।

उत्तर: पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्ते को काट कर तथा भूर्ज पेड़ की छाल पर हाथों से लिखी जाती थी। अभिलेख पत्थर या धातु जैसी कठोर सतहों पर उत्कीर्ण किया जाता था।

प्रश्न 3: राशिदा के प्रश्न को फिर से पढ़ो। इसके क्या उत्तर हो सकते हैं ?

उत्तर: रशिदा अपने आप से सवाल करती है कि यह कोई कैसे जान सकता है कि इतने वर्षों पहले क्या हुआ था?

इतिहासकार विभिन्न श्रोतो जैसे- पांडुलिपियों, सिक्कों, अभिलेखों तथा पुरात्तव से ज्ञात जानकारियों के आधार पर अतीत को जानने का प्रयास करतें हैं।

प्रश्न 4: पुरातत्वविदों द्वारा पाई जाने वाली सभी वस्तुओं की एक सूची बनाओ। इनमें से कौन सी वस्तुएँ पत्थरों कि बनी हो सकती है।

उत्तर: पुरातत्वविदों को खुदाई से विभिन्न वस्तुएँ, चित्रों, मूर्तियों, औजारों, हथियारों, बर्तनों, आभूषणो, सिक्कों, हड्डी, अन्न के दाने, कपड़ों, आदि के अवशेष प्राप्त हुए हैं। इनमें से औज़ार, मूर्ति, आभूषण और हथियार पत्थरों के बने हो सकते हैं।

प्रश्न 5: साधारण स्त्री और पुरूष अपने कार्यों का विवरण क्यों नहीं रखते थे? इसके बारे में तुम क्या सोचते हो?

उत्तर: साधारण स्त्री और पुरुषों का जीवन संघर्षों और कठिनाइयों से भरा पड़ा था। साथ ही उनके पास साधनों की कमी थी। अपने दैनिक जीवन की समस्याओं से उन्हें इतनी फुरसत ही नहीं मिलती थी कि अपने कार्यों का विवरण रख सकें।

प्रश्न 6: कम से कम दो ऐसी बातों का उल्लेख करो जिनसे तुम्हारे अनुसार राजाओं और किसानों के बीच के जीवन में भिन्नता का पता चलता है।

उत्तर: किसानों का काम खेतों में काम करना और अनाज उगाना था। वहीं दूसरी ओर एक राजा का काम शासन को सुचारु रुप से चलाना और लड़ाईयों द्वारा विजय अर्जित कर राज्य का विस्तार करना था। इस तरह एक किसान का जीवन परिश्रम से भरा होता था। उसकी तुलना में राजा का जीवन किसान के जीवन से थोड़ा आरामदायक होता था।


Extra Questions Answers

प्रश्न 1: सबसे पहले लोगों ने कौन सा फसल उपजाना प्रारंभ किया?

उत्तर: गेहूँ और जौ

प्रश्न 2: सबसे पह्ले किस-किस पशुओं को पालतू बनाया?

उत्तर: भेड़, बकरी, गाय और बैल

प्रश्न 3: सबसे पहले चावल कहाँ उपजाया गया?

उत्तर: विंध्य पहाड़ियों के उत्तर में।

प्रश्न 4: सहायक नदियाँ किसे कहतें हैं?

उत्तर: जो एक बडी़ नदी में मिल जाती है।

प्रश्न 5: सिंधु की सहायक नदियों के नाम लिखो।

उत्तर: सतलज, झेलम, रावी, चेनाब और व्यास।

प्रश्न 6: गंगा किनारे कितने वर्ष पूर्व नगरों का विकास हुआ?

उत्तर: लगभग 2500 वर्ष पूर्व

प्रश्न 7: प्राचीन काल में मगध (वर्तमान बिहार) राज्य की स्थापना कहाँ हुई?

उत्तर: गंगा के दक्षिणी क्षेत्र में।

प्रश्न 8: पांडु लिपी किसे कहते हैं?

उत्तर: जो पुस्तकें हाथ से लिखी जाती है उसे पांडुलिपि कहते है। पांडुलिपियाँ ताड़ के पत्तों और भुर्ज नामक पेड़ की छाल पर लिखी जाती थी। पांडुलिपियाँ ज्यादातर मंदिरों और विहारों में प्राप्त होती है।

प्रश्न 9: अभिलेख किसे कहते हैं?

उत्तर: जिसे पत्थरों अथवा धातु जैसी कठोर सतहों पर उत्कीर्ण करवाया जाता है उसे अभिलेख कहते हैं। इन अभिलेखों में शासकों के आदेश तथा लड़ाईयों में अर्जित विजयों का विवरण मिलता है। साथ ही राजा और रानियो तथा अन्य स्त्री और पुरुषों के कार्यों का विवरण मिलता है। इसे प्राय: स्तंभों तथा शिलालेखो पर खुदवाया जाता था।

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