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किताबें और कब्रें /History chep 04 ✍️ AGT

किताबें और कब्रें


वेद

सबसे पहले वेद की रचना आज से लगभग 3500 वर्ष पहले हुई थी। आपको शायद पता होगा कि वेदों के संख्या चार हैं ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। इनमें से सबसे पहले ऋग्वेद की रचना हुई थी।

ऋग्वेद में 1000 से अधिक प्रार्थनाएँ हैं जिन्हें सूक्त कहा जाता है। सूक्त का मतलब होता है ‘अच्छी तरह से बोला गया’।

ऋग्वेद में तीन मुख्य देवताओं का वर्णन है। आग के देवता अग्नि हैं, वर्षा के देवता इंद्र हैं और सोम एक पौधा है। इस पौधे से एक विशेष प्रकार का पेय बनाया जाता था।

ऋग्वेद की प्रार्थनाएँ लोगों के लिए वर्षा और आग के महत्व को दर्शाती हैं। हम जानते हैं कि अच्छी फसल के लिए वर्षा जरूरी है। प्रचुर मात्रा में पीने के पानी के लिए भी वर्षा जरूरी है। आग का इस्तेमाल हम भोजन पकाने और अन्य कई कामों के लिए करते हैं।

इन प्रार्थनाओं की रचना ऋषियों द्वारा की गई थी, जो अत्यंत विद्वान पुरुष होते थे। कुछ महिलाओं ने भी ऐसी प्रार्थनाओं की रचना की है। ऋग्वेद में प्राक-संस्कृत या वैदिक संस्कृत का प्रयोग हुआ है। यह आज की संस्कृत से कुछ कुछ अलग है।

भाषाओं के कुछ मुख्य परिवार

  1. इंडो-यूरोपियन परिवार: इस परिवार की भाषाएँ हैं जर्मन, फ्रेंच, इंगलिश, स्पैनिश, ग्रीक, संस्कृत, हिंदी, बंग्ला, असमिया, गुजराती, सिंधी, पंजाबी, आदि।
  2. तिब्बतो-बर्मन परिवार: इस परिवार की भाषाएँ भारत के पूर्वोत्तर भाग में बोली जाती हैं।
  3. द्रविड़ियन परिवार: इस परिवार की भाषाएँ हैं तमिल, तेलुगू, कन्नड़ और मलयालम।
  4. ऑस्ट्रो-एशियेटिक परिवार: इस परिवार की भाषाएँ झारखंड में और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में बोली जाती हैं।
इतिहासकार और ऋग्वेद

ऋग्वेद से कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं।  ऋग्वेद से कुछ सूक्तों को लिया गया है, जो कि विश्वमित्र और नदियों(व्यास और सतलुज) के बीच हुई बातचीत के बारे में है। इस बातचीत का सरल अनुवाद नीचे दिया गया है:

ऋषि विश्वमित्र ने नदी की तुलना गाय और घोड़े से की है। वह नदी पार करना चाहते हैं। इसलिए वह नदी से प्रार्थना कर रहे हैं ताकि सुरक्षित पार कर जाएँ। इससे ये बाते पता चलती हैं:

  • उस जमाने में लोग जहाँ रहते थे वहाँ नदी मौजूद थी।
  • घोड़े और गायें लोगों के लिए महत्वपूर्ण जानवर थे।
  • यातायात के लिए रथों का प्रयोग होता था।
  • नदी को पार करने का शायद एक ही तरीका था, चलकर। ऐसा करने में जान को खतरा था।
  • ऋग्वेद में सिंधु और इसकी सहायक नदियों का जिक्र है। सरस्वती नदी के बारे में भी ऋग्वेद में लिखा गया है। लेकिन गंगा और यमुना का नाम ऋग्वेद में केवल एक ही बार आया है। इन जानकारियों के आधार पर हम कुछ निष्कर्ष निकाल सकते हैं। जब ऋग्वेद की रचना हुई थी तब अधिकतर लोग सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पास रहते थे। लेकिन लोगों को गंगा और यमुना के बारे में भी मालूम था।

मवेशी, घोड़े और रथ

ऋग्वेद में मवेशी, घोड़े और बच्चों (खासकर पुत्रों) के लिए कई प्रार्थानाएँ हैं। इससे पता चलता है कि उस जमाने के लोगों के लिए मवेशी और घोड़े कितने महत्वपूर्ण थे। इससे यह भी पता चलता है कि लोग बेटियों की तुलना में बेटों को अधिक महत्व देते थे। मवेशी का इस्तेमाल कृषि कार्यों और यातायात के लिए होता था। घोड़ों का इस्तेमाल रथ खींचने के लिए होता था। लोग लंबे सफर के लिए घुड़सवारी भी करते थे। घोड़ों और रथों का इस्तेमाल युद्ध में भी होता था। युद्ध अक्सर जमीन, मवेशी और पानी के लिए होते थे। जौ खराब परिस्थिति में आसानी से उगता है और इसकी फसल जल्दी पकती है। इसलिए जौ की खेती बहुतायत से होती थी।

युद्ध में जीते गये धन को समाज के हर वर्ग में बराबर बाँटा जाता था। उसमें से कुछ धन का इस्तेमाल यज्ञ करने के लिए होता था।

यज्ञ एक जटिल अनुष्ठान होता था। यज्ञ में आहुति दी जाती थी। घी और अनाज की आहुति दी जाती थी। जानवरों की बलि भी दी जाती थी।

लगभग हर पुरुष को युद्ध में भाग लेना पड़ता था। एक नियमित सेना रखने की परंपरा शुरु नहीं हुई थी। सेना में अलग-अलग पेशों से लोग आते थे। उन्हीं में से एक व्यक्ति को सेनापति के तौर पर चुना जाता था।

लोगों की विशेषता बताने वाले शब्द

ऋग्वेद में काम के आधार पर तीन तरह के लोगों का वर्णन है, जो नीचे दिया गया है:

पुरोहित: जो लोग अनुष्ठान कराते थे उन्हें पुरोहित या ब्राह्मण कहा जाता था। ब्राह्मणों का समाज में महत्वपूर्ण स्थान था।

राजा: शासक को राजा कहते थे। उस जमाने के राजा बाद के जमाने के राजाओं की तरह नहीं होते थे। उनकी न तो कोई राजधानी होती थी, ना ही कोई महल होता था और वे किसी प्रकार का टैक्स नहीं वसूलते थे। यह जरूरी नहीं था कि किसी राजा की मृत्यु के बाद उसका बेटा ही राजा बने।

जन: आम लोगों को जन या विश कहते थे। आज भी हिंदी भाषा में लोगों के लिए ‘जन’ शब्द का प्रयोग होता है। ‘विश’ शब्द से ही ‘वैश्य’ बना है। ऋग्वेद में कई जनों या ‘विश’ का उल्लेख है, जैसे कि पुरु जन, भरत जन और यदु जन


आर्य: जिन लोगों ने प्रार्थनाओं की रचना की थी वे अपने आपको आर्य कहते थे। वे अपने विरोधियों को दास या दस्यु कहते थे। दास लोग अलग भाषा बोलते थे और यज्ञ नहीं करते थे। समय बीतने के साथ ‘दास’ या ‘दासी’ शब्द का इस्तेमाल गुलामों के लिए होने लगा। युद्ध में बंदी बनाए लोगों को अपनी बाकी जिंदगी दास के रूप में बितानी पड़ती थी।

आर्य लोग खानाबदोश थे जो मध्य एशिया में रहते थे। वे 1500 ई पू भारत आये थे। शुरु में वे पंजाब के आस पास बस गये। उस समय भारत में रहने वाले मूल निवासियों को द्रविड़ कहा जाता था। समय बीतने के साथ आर्य भारत के अन्य भागों में फैल गये, जैसे कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश और फिर आगे पूरब की ओर। द्रविड़ लोगों को विंध्याचल के दक्षिण की ओर जाने को बाध्य होना पड़ा।

महापाषाण: खामोष प्रहरी

महापाषाण पत्थर से बनी रचना होती है। इनका इस्तेमाल किसी कब्रगाह पर निशान लगाने के लिए किया जाता था। महापाषाण को या तो एक ही विशाल पत्थर से बनाया जाता था या फिर अनेक पत्थरों से। कुछ महापाषाण जमीन के ऊपर दिखाई देते थे, जबकि कुछ अन्य जमीन के नीचे। महापाषाण को शायद साइनपोस्ट के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था। इससे कब्रगाह को खोजने में आसानी होती थी। महापाषाण बनाने की परंपरा लगभग 3000 वर्ष पहले शुरु हुई थी। यह परंपरा दक्कन, दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर और कश्मीर में प्रचलित थी।

मृत व्यक्ति को कुछ विशेष बरतनों के साथ दफनाया जाता था। इन बर्तनों को रेड-वेयर और ब्लैक-वेयर कहते थे। कुछ कब्रगाहों से लोहे के औजार और घोड़े के कंकाल भी मिले हैं। इससे पता चलता है कि उस जमाने में लोहे का इस्तेमाल होता था। इससे लोगों के लिए घोड़े के महत्व का पता भी चलता है। कुछ कब्रगाहों से सोने और पत्थरों के जेवर भी मिले हैं।

सामाजिक असमानताएँ: दक्षिण भारत में ब्रह्मगिरि नामक एक बड़ा ही महत्वपूर्ण महापाषाण पुरास्थल है। इस पुरास्थल की एक कब्र से एक कंकाल मिला है जिसके साथ 33 सोने के मनके, 2 पत्थर के मनके, 4 तांबे की चूड़ियाँ और एक शंख मिला है। वहीं दूसरे कंकालों के साथ कुछेक बरतन ही मिले हैं। इनसे बड़े ही रोचक तथ्य सामने आते हैं।

  • लोगों में सामाजिक असमानताएँ थीं।
  • मृत के साथ उसके कुछ सामानों को दफना दिया जाता था।

पारिवारिक कब्रगाह: कुछ कब्रगाहों से कई कंकाल मिले हैं। इतिहासकारों का अनुमान है कि ये पारिवारिक कब्रगाहें रही होंगी। ऐसी कब्रगाहों के ऊपर पत्थर से एक वृत्ताकार रचना बनाई जाती थी ताकि उस जगह को आसानी से ढ़ूँढ़ा जा सके।

इनामगांव: एक विशेष कब्रगाह

 इनामगांव आज के महाराष्ट्र में पड़ता है। यह पुणे से 89 किमी पूरब में स्थित है। यह भीमा नदी की सहायक नदी घोड़ के निकट है। इनामगांव में लोग लगभग 3600 से 2700 वर्ष पहले रहते थे।

इस कब्रगाह में वयस्कों को ही दफन किया जाता था। मृत शरीर को सीधा लिटा दिया जाता था और उसका सिर उत्तर की ओर रखा जाता था।

कुछ लोगों को घरों में ही दफनाया जाता था। मृत के साथ बरतनों को भी दफनाया जाता था। इन बरतनों में शायद खाने पीने की चीजें रखी जाती थीं।

ऐसे ही एक पुरास्थल से एक चार पाये वाला जार मिला है। उस जार के भीतर एक कंकाल था। इस जार को एक पांच कमरे वाले मकान के आंगन में रखा गया था। यह उस पुरास्थल के कुछ सबसे बड़े मकानों में से एक था। उस घर में एक भंडार घर भी मिला है। मृतक के पैर मोड़कर लिटाया गया था। इतिहासकारों का अनुमान है कि वह अवश्य ही कोई महत्वपूर्ण और धनी व्यक्ति रहा होगा। हो सकता है कि वह एक समृद्ध किसान हो या गांव का मुखिया हो।

इनामगांव के लोगों के व्यवसाय:

इनामगांव के पुरास्थल से गेहूँ, जौ, दलहन, बाजरा और तिल के अवशेष मिले हैं। यहाँ से कई जानवरों के अवशेष भी मिले हैं, जैसे कि गाय, भैंस, बकरी, भेड़, कुत्ता, घोड़ा, गदहा, सूअर, सांभर, चित्तीदार हिरण, काला हिरण, बारहसिंघा, खरगोश, नेवला, आदि। यहाँ से चिड़िया, मगरमच्छ, कछुआ, केकड़ा और मछली के अवशेष भी मिले हैं। कुछ जानवरों की हड्डियों पर काटने के निशान भी हैं। इससे पता चलता है कि इन जानवरों का इस्तेमाल भोजन के रूप में होता था। इतिहासकारों को कई फलों के अवशेष भी मिले हैं, जैसे कि बेर, आंवला, जामुन, खजूर और कई तरह की रसभरी।

ऊपर दी गई जानकारी से पता चलता है कि इनामगांव के लोगों का मुख्य पेशा था कृषि। जानवरों को मांस और दूध के लिए पाला जाता था। मांस के लिए जंगली जानवरों का शिकार भी किया जाता था।

इतिहासकर कंकाल का अध्ययन कैसे करते हैं?

किसी वयस्क और बच्चे के कंकाल में अंतर आसानी से देखा जा सकता है। लेकिन पुरुष और महिला के कंकाल में अंतर करना कठिन होता है। महिलाओं की कूल्हे की हड्डी अधिक चौड़ी होती है, ताकि शिशु के जन्म में आसानी हो। कूल्हे की हड्डी के आकार के आधार पर यह पता किया जाता है कि वह किसी महिला का कंकाल है या पुरुष का।

Qestions and answers

1: निम्नलिखित को सुमेल करो।

कॉलम 1कॉलम 2
(a) सूक्त(1) सजाए गए पत्थर
(b) रथ(2) अनुष्ठान
(c) यज्ञ(3) अच्छी तरह से बोला गया
(d) दास(4) युद्ध में प्रयोग किया जाता था
(e) महापाषाण(5) गुलाम

उत्तर: (a) 3, (b) 4, (c) 2, (d) 5, (e) 1

प्रश्न 2: वाक्यों को पूरा करो।

(क) -------- के लिए दासों का इस्तेमाल किया जाता था।
(ख) -------- में महापाषाण पाए जाते थे।
(ग) जमीन में गोले में लगाए गए पत्थर या चट्टान --------- का काम करते थे।
(घ) पोर्ट होल का इस्तेमाल --------- के लिए होता था।
(ङ) इनामगांव के लोग ------- खाते थे।

उत्तर: (क) मजदूरी, (ख) कब्रों, (ग) साइनपोस्ट, (घ) प्रवेश, (ङ) अनाज, फल, मांस

प्रश्न 3: आज हम जो किताबें पढ़ते हैं वे ऋग्वेद से कैसे भिन्न है?

उत्तर: ऋग्वेद की रचना प्राचीन समय में प्राक संस्कृत या वैदिक संस्कृत भाषा मे की गई थी। जो आज के संस्कृत से भिन्न थी। आज किताबों की रचना विभिन्न भाषाओं जैसे अंग्रे़जी, हिन्दी और अन्य भाषाओं में की जाती है। ऋग्वेद में देवी देवताओं की स्तुति रची गई है। जबकि आधुनिक किताबें किसी भी विषय (topic) पर लिखी जाती है। आज की किताबें लिखित और छ्पी रूप मे है। जबकि प्रारम्भ में ऋग्वेद लिखित रूप में नही था। इसे उच्चारित किया जाता था।

प्रश्न 4: पुरातत्वविद क़ब्रों में दफनाए गए लोगों के बीच सामाजिक अंतर का पता कैसे लगाते हैं?

उत्तर: कभी- कभी एक कब्र की तुलना में दूसरी कब्र में मृत व्यक्ति से संबंधित अधिक विलासिता की चीजें मिलती है। इसके अलावा दोनों की क़ब्रों के आकार में भी अंतर मिलता है। जिससे दोनों व्यक्तियों के बीच सामाजिक भिन्नता का पता चलता है। इन्हीं सबूतों के आधार पर पता चलता है कि कुछ लोग अमीर थे तो कुछ गरीब।

प्रश्न 5: एक राजा का जीवन दास या दासी के जीवन से कैसे भिन्न होता था?

उत्तर: एक राजा अपनी मर्जी का मालिक होता था। वहीं दूसरी तरफ दास या दासी को राजा की आज्ञा माननी पड़ती थी। दास या दासी राजा द्वारा युद्ध में बंदी बनाया जाता था। उन्हें राजा का जायदाद माना जाता था। उसे राजा की दया पर निर्भर रहना पड़ता था।


Extra Questions Answers

प्रश्न 1: वेद कितने हैं? सभी के नाम लिखो।

उत्तर: वेद चार हैं। ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद

प्रश्न 2: सबसे पहले किस वेद की रचना हुई?

उत्तर: ऋग्वेद की रचना लगभग 3500 साल पहले हुई।

प्रश्न 3: ऋग्वेद में कितने सूक्त हैं?

उत्तर: एक हजार से ज्यादा

प्रश्न 4: इसमें प्रमुखतया किन देवताओं की स्तुति की गई है?

उत्तर: अग्नि, इंद्र और सोम

प्रश्न 5: इसमें किन- किन नदियों की चर्चा की गई है?

उत्तर: सरस्वती, सिंधु और उसकी सहायक नदियाँ, गंगा और यमुना का सिर्फ एक बार जिक्र किया गया है।

प्रश्न 6: वेदों की रचना किसने की?

उत्तर: आर्यों ने

प्रश्न 7: आर्य लोग कहाँ से आए थे?

उत्तर: मध्य एशिया से

प्रश्न 8: आर्य लोग सबसे पहले किस नदी के किनारे बसे?

उत्तर: सिंधु नदी के किनारे

प्रश्न 9: महापाषाण कब्रें बनाने की प्रथा कब शुरू हुई?

उत्तर: लगभग 3000 साल पहले

प्रश्न 10: इनामगाँव कहाँ है?

उत्तर: महाराष्ट्र में

प्रश्न 11: ऋग्वेद के वार्तालाप किस रूप में है?

उत्तर: सूक्त के रूप में

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