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आरंभिक नगर /History chep 03 ✍️ AGT

आरंभिक नगर


सिंधु घाटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता आज से 4700 वर्ष पहले फली फूली थी। उस जमाने के नगर मुख्य रूप से सिंधु नदी के मैदानों में फले फूले थे। इसलिए इस सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता कहा जाता है। इस सभ्यता का सबसे पहले खोजे जाने वाले शहर का नाम है हड़प्पा। इसलिए इस सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता भी कहते हैं।

उसी समय के आस पास दुनिया के अन्य भागों में भी नदी घाटी सभ्यताओं का विकास हुआ था। टिग्रीस और यूफ्रेटीस नदी के आस पास मेसोपोटामिया की सभ्यता का विकास हुआ था। नील नदी के आस पास मिस्र की सभ्यता का विकास हुआ था। चीन में हुआंग हो नदी के किनारे ऐसी ही सभ्यता का विकास हुआ था।


हड़प्पा

हड़प्पा आज के पाकिस्तान में पड़ता है। इस पुरास्थल की खोज संयोग से हुई थी। 1856 में ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोग यहाँ पर रेलवे लाइन बिछाने का काम कर रहे थे, तो उन्हें खंडहर मिले थे। मजदूरों और कारीगरों को शुरु में लगा कि वह किसी साधारण से शहर का खंडहर होगा। इसलिए वहाँ से ईंटें निकालकर रेल निर्माण में इस्तेमाल की जाने लगीं। आज से लगभग 80 वर्ष पहले एक ब्रिटिश पुरातत्वविद को अहसास हुआ कि यह कोई मामूली शहर नहीं बल्कि बहुत ही प्राचीन शहर था।

सिंधु घाटी सभ्यता के अन्य महत्वपूर्ण पुरास्थल के नाम हैं: मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, लोथल और धोलावीरा। अब तो इस सभ्यता के लगभग 150 पुरास्थलों का पता चल चुका है। इनमें से अधिकतर पुरास्थल आज के पाकिस्तान में स्थित हैं। भारत में पड़ने वाले कुछ पुरास्थलों के नाम हैं: कालीबंगा (उत्तरी राजस्थान), बनावली (हरयाणा), धोलावीरा (गुजरात), और लोथल (गुजरात)। विभिन्न पुरास्थलों पर खुदाई के बाद यह बात साफ हो गई है कि यह सभ्यता पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के एक बड़े हिस्से और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों तक फैली हुई थी।

इन शहरों की विशेषताएँ:

सिंधु घाटी सभ्यता के शहरों की कुछ विशेषताएँ नीचे दी गई हैं:

योजनाबद्ध शहर:

  • ऐसा लगता है कि इन शहरों का निर्माण बहुत ही सटीक योजना के आधार पर हुआ था।
  • हड़प्पा का नगर दो भागों में बँटा हुआ था, पश्चिमी और पूर्वी भाग।
  • नगर का पश्चिमी भाग छोटा था लेकिन ऊँचाई पर था। ऊँचे भाग को नगर-दुर्ग कहते थे। इस दुर्ग में कुछ खास इमारतें बनी थीं।
  • नगर का पूर्वी भाग नीचे था लेकिन बड़ा था। इस भाग को निचला शहर कहते थे।
  • नगर-दुर्ग में एक बड़ा तालाब मिला है। पुरातत्वविदों ने इसे महान स्नानागार का नाम दिया है। इसका निर्माण पकी ईंटों से हुआ था। महान स्नानागार की दीवारों और फर्श पर चारकोल की परत चढ़ाई गई थी ताकि रिसाव न हो सके। इसमें उतरने के लिए दो तरफ से सीढ़ियाँ बनी थीं और चारों तरफ कमरे बने थे। इतिहासकारों का अनुमान है कि यहाँ पर विशेष अवसरों पर विशिष्ट नागरिक स्नान किया करते थे।
  • धनी लोग शहर के ऊपरी हिस्से में रहते थे, जबकि मजदूर लोग शहर के निचले हिस्से में रहते थे।

पकी ईंटों का प्रयोग:

घर और अन्य इमारतें पकी ईंटों से बनी थीं। ईंट एक ही आकार के थे। इससे यह पता चलता है कि हड़प्पा के कारीगर कुशल होते थे। ईंटों को ‘ईंटर लॉक’ पैटर्न में जोड़ा जाता था। इससे इमारत को अधिक मजबूती मिलती थी।

सड़कें और नालियाँ:

सड़क पर ईंटें बिछाई जाती थी। सड़कें आपस में समकोण पर काटती थीं। नालियों का जाल भी योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया था। हर घर से निकलने वाली नाली सड़क की नाली से मिलती थी। नालियों को पत्थर की सिल्लियों से ढ़का जाता था। थोड़े-थोड़े अंतराल पर इनमें मेनहोल जैसे बने होते थे ताकि साफ सफाई हो सके।

योजनाबद्ध मकान:

घरों की दीवारें मोटी और मजबूत होती थीं। कुछ मकान तो दोमंजिले भी होते थे। इससे उस जमाने की परिष्कृत वास्तुकला का पता चलता है। एक घर में अक्सर एक रसोई, एक स्नानघर और एक बड़ा सा आंगन होता था। पानी की सुचारु व्यवस्था के लिए अधिकतर घरों में कुँआ भी होता था।

भंडार गृह:

सिंधु घाटी सभ्यता के नगरों में बड़े भंडार गृह भी पाये गये हैं। ऐसे भंडार गृह से झुलसे हुए अनाज भी मिले हैं। इससे पता चलता है कि उस जमाने में अनाज का उत्पादन आवश्यकता से अधिक होता था। इतिहासकारों का यह भी अनुमान है टैक्स को अनाज के रूप में वसूला जाता था। बड़े भंडार गृह में टैक्स में वसूले गये अनाज रखे जाते थे।

लोगों का जीवन

आपने पढ़ा है कि गांव के लोगों का मुख्य पेशा खेतीबारी होती है। लेकिन शहर के लोग कई अन्य पेशे में शामिल रहते हैं। हड़प्पा के शहरों में कुछ संभावित पेशे इस प्रकार हो सकते हैं:

शिल्प:

बरतन बनाने के लिए मिट्टी, तांबा और कांसे का उपयोग होता था। औजार, हथियार और सील बनाने के लिए तांबे और कांसे का प्रयोग होता था। मिट्टी के सील भी बनाये जाते थे। कई बड़े बरतन भी मिले हैं, जिनका इस्तेमाल शायद अनाज रखने के लिये किया जाता था।

जेवर बनाने के लिए सोना, मनके, लकड़ी और मिट्टी का इस्तेमाल होता था। मनके बनाने के लिए महंगे पत्थर का प्रयोग होता था, जैसे कि कैनेलियन, जैस्पर, क्रिस्टल, आदि।

खिलौने बनाने के लिए मिट्टी और लकड़ी का प्रयोग होता था। एक गाड़ी के आकार का खिलौना बड़ी अच्छी हालत में मिला है। इसे देखकर लगता है कि उस जमाने में गाड़ी को जानवरों द्वारा खींचा जाता था।

खिलौनों, बरतनों और जेवरों पर जटिल नक्काशी देखने को मिलती है। इससे सिंधु घाटी सभ्यता के कारीगरों की दक्षता का पता चलता है।

कुछ तकलियाँ भी मिली हैं, जिनका इस्तेमाल धागा बनाने के लिए होता था। लोग कपास से धागा बनाते थे।

व्यापार

हड़प्पा के लोगों का मुख्य व्यवसाय व्यापार था। तांबा राजस्थान तथा ओमन से आता था। हड़प्पा के कुछ सील मेसोपोटामिया में मिले हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा और मेसोपोटामिया के बीच व्यापार हुआ करता था।

गुजरात के लोथल में एक बंदरगाह मिला है। इससे पता चलता है कि उस जमाने में समुद्री मार्ग से व्यापार होता था। कई तरह के सील मिलने से यह पता चलता है कि व्यावसायिक लेन देन का सिस्टम अच्छी तरह से विकसित था।

खेती

आपने पहले पढ़ा है कि झुलसे हुए अनाजों के अवशेष मिले हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के गांवों में गेहूँ, जौ, दलहन, मटर, चावल, तिल, अलसी और सरसों की खेती होती थी।

हल की शक्ल का एक खिलौना भी मिला है। इससे पता चलता है कि खेत जोतने के लिए हल का इस्तेमाल होता था। बड़े भंडार गृह और बड़े-बड़े बरतनों के मिलने से यह पता चलता है कि अनाजों का उत्पादन प्रचुर था।

पुरास्थलों से कई पालतू पशुओं की हड्डियाँ भी मिली हैं। इससे पता चलता है कि हड़प्पा के लोग गाय, भैंस, बकरियाँ, भेड़ और सूअर पाला करते थे।

जीवन के कुछ अन्य पहलू

  • इतिहासकारों का अनुमान है कि सिंधु घाटी सभ्यता में किसी न किसी प्रकार का प्रशासन तंत्र भी रहा होगा। हो सकता है कि प्रशासन संभालने के लिए लोगों की समिति रही हो।
  • पुरास्थलों से खिलौने और मूर्तियाँ मिली हैं। इससे पता चलता है कि लोगों में मनोरंजन का भी प्रचलन था।
  • हड़प्पा से मिले हुए सीलों पर किसी लिपि में कुछ लिखा हुआ भी है। इसका मतलब है कि उस जमाने में लोग लिखना जानते थे। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि को अब तक कोई पढ़ नहीं पाया है।
  • लोग देवी देवताओं की पूजा करते थे। वहाँ से मिली कई मूर्तियाँ इस बात की पुष्टि करती हैं। पुरातत्वविदों का ध्यान खासकर से एक पुरुष की मूर्ति (जिसके चारों ओर पशु हैं) ने खींचा है। यह मूर्ति कुछ कुछ हिंदू धर्म के शंकर भगवान से मिलती जुलती है। शंकर भगवान को पशुपतिनाथ के नाम से भी जानते हैं।

हड़प्पा सभ्यता के अंत का रहस्य

हड़प्पा सभ्यता का अंत अचानक से आज से 3900 वर्ष पहले हो गया। टूटी सड़कों और जाम पड़ी नालियों से पता चलता है कि सारा तंत्र खराब हो चुका था। बाद के समय की खुदाई में दूर के स्थानों के सामानों के अवशेष नहीं मिलते हैं। इसका मतलब है कि बाहरी दुनिया से व्यापार समाप्त हो चुका था। घरों की दशा भी खराब हो चुकी थी। शहर के लोग अब धनी नहीं रह गये थे। इतिहासकार अभी तक सिंधु घाटी सभ्यता के अंत का सही कारण समझ नहीं पाये हैं। लेकिन कुछ अनुमान लगाये गये हैं, जो नीचे दिये गये हैं:

  • ऐसा हो सकता है कि नदियाँ सूख गई हों। इसके परिणामस्वरूप लोगों को दूसरी जगह जाना पड़ा होगा।
  • ईंटों की भट्टियाँ बहुतायत में थीं। इनसे पर्यावरण को नुकसान पहुँचा होगा। इसके कारण जंगलों की कटाई हुई होगी। वनस्पति कम हो जाने के कारण लोगों को दूसरी जगह जाने के लिये बाध्य होना पड़ा होगा।
  • मवेशियों और भेड़ों द्वारा अत्यधिक चराई के कारण वनस्पति का नुकसान हुआ होगा। इससे मरुस्थलीकरण हो गया होगा, यानि मरुस्थल बन गया होगा।
  • किसी महामारी या प्राकृतिक तबाही की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकत है। इससे आबादी का एक बड़ा भाग तबाह हो गया होगा।
Questions and answers

प्रश्न 1: पुरातत्वविदों को कैसे ज्ञात हुआ कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान कपड़े का उपयोग होता था?

उत्तर: पुरातत्वविदों को मोहनजोदड़ो की खुदाई से कपड़ों के टुकड़े और फेयंस(फेयॉन्स) से बनी तकलियाँ मिली है। जिससे पता चलता है कि हड़प्पा सभ्यता के दौरान कपड़े का उपयोग होता था।

प्रश्न 2: निम्नलिखित को सूमेलित करो:

(a) ताँम्बा(1) गुजरात
(b) सोना(2) अफगानिस्तान
(c) टिन(3) राजस्थान
(d) बहुमूल्य पत्थर(4) कर्नाटक

उत्तर: (a) 3, (b) 4, (c) 2, (d) 1


प्रश्न 3: हड़प्पा के लोगों के लिए धातुएँ, लेखन, पहिया और हल क्यों महत्वपूर्ण थे?

उत्तर: हड़प्पा के लोगों के लिए धातुओं, लेखन, पहिया और हल का विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण उपयोग था। धातुओं का उपयोग हथियार, गहने, बर्तन और मुहर बनाने के लिए किया जाता था। लेखन कला द्वारा वे शायद विभिन्न व्यापारों का लेखा जोखा रखते थे। पहिये का उपयोग दूर दूर से सामानों को लाने और ले जाने के लिए किया जाता था। हल का उपयोग जमीन की जुताई के लिए किया जाता था, जिससे अनाज उपजाने में सुविधा होती थी।

प्रश्न 4: इस अध्याय में पकी मिट्टी (टेराकोटा) से बने सभी खिलौनों की सूची बनाओ। इनमें से कौन से खिलौने बच्चों को ज्यादा पसंद आए होंगे?

उत्तर: इस अध्याय में पकी मिट्टी से बने खिलौनों का चित्र दिखाया गया है। उसमें कुछ जानवरों की मूर्तियाँ, पहिये वाली गाड़ी और हल को दिखाया गया है। सभी जानवरों को तो वे पहले से देखते आ रहे थे, लेकिन पहिए वाली गाड़ी शायद पहली बार देख रहे थे। इसलिए बच्चों को शायद पहिए वाली गाड़ी सबसे ज्यादा पसंद आई होगी।

प्रश्न 5: हड़प्पा के लोगों की भोजन सामग्री की सूची बनाओ। आज इनमें से तुम क्या खाते हो?

उत्तर: हड़प्पा के लोग विभिन्न तरह के शाकाहारी और मांसाहारी भोजन करते थे। वे लोग अनाज के रूप मे गेहूँ, जौ, दाल, मटर, धान, तिल और सरसों से बना पकवान खाते थे। साथ हीं वे फल, दूध, मांस और मछलियां भी खाते थे। इनमें से हर सामग्री आज भी हम सभी खाते हैं।

प्रश्न 6: हड़प्पा के किसानों और पशुपालकों का जीवन क्या उन किसानों से भिन्न था, जिनके बारे में तुमने पिछ्ले अध्याय में पढा है? अपने उत्तर में इसका कारण बताओ।

उत्तर: पिछले अध्याय से प्राप्त जानकारी के आधार पर किसानों और पशुपालकों का जीवन हड़प्पा के नगरों से कुछ भिन्न था। नवपाषाण युग के किसान भी वही काम करते थे, जो हड़प्पा के किसान करते थे। हड़प्पा में ज्यादा विस्तृत तरीके से खेती होती थी, जिससे अनाजों की उपज काफी मात्रा में होती थी। जिससे अपने उपयोग के अलावा बचे हुए अनाज और पशुओं को वे बेच देते थे। वहीं दूसरी ओर नवपाषाण युग के किसान और पशुपालक सिर्फ अपने उपयोग के लायक ही अनाज और पशु रख पाते थे। वे ग्रामीण जीवन बिताते थे जबकि हड़प्पा वालों का जीवन नागरीय जीवन था।


Extra Questions Answers

प्रश्न 1: भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पहले किस आरम्भिक नगर की खोज की गई?

उत्तर: हड़प्पा

प्रश्न 2: पुरातत्वविदों ने कब इस स्थल को ढूंढा?

उत्तर: लगभग 80 साल पहले

प्रश्न 3: हड़प्पा का निर्माण कब हुआ था?

उत्तर: लगभग 4700 साल पहले

प्रश्न 4: ये नगर कहाँ स्थित है?

उत्तर: आधुनिक पाकिस्तान के पंजाब और सिंध प्रांत, भारत के गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब प्रांत में।

प्रश्न 5: खुदाई में अग्निकुंड कहाँ मिले हैं?

उत्तर: कालीबंगा और लोथल में

प्रश्न 6: खुदाई से प्राप्त स्नानागार कैसे हैं? इसका इस्तेमाल किस लिए किया जाता था?

उत्तर: खुदाई से मोहनजोदरो में महान स्नानागार मिले हैं। जिसमें ईंट और प्लास्टर का इस्तेमाल किया गया है। इसमें दो तरफ सीढ़ियाँ बनाई गई है। इसमें कुएँ से पानी भरा जाता था। इसका इस्तेमाल शायद यहाँ के विशिष्ट नागरिक विशेष विशेष अवसरों पर स्नान के लिए करते थे।

प्रश्न 7: खुदाई में भंडार गृह कहाँ मिले हैं?

उत्तर: हड़प्पा, मोहनजोदड़ो और लोथल में

प्रश्न 8: घर, नाले और सड़कों का निर्माण योजनाबद्ध तरीके से एक साथ कहाँ किया गया था?

उत्तर: हड़प्पा में

प्रश्न 9: हड़प्पा सभ्यता में किन किन धातुओं का उपयोग किया जाता था?

उत्तर: सोने, चाँदी, ताम्बे, कंसई और टिन

प्रश्न 10: हड़प्पा से किस तरह के बर्तनों के अवशेष मिले हैं?

उत्तर: काले रंग से डिजाईन किए हुए खूबसूरत लाल मिट्टी के बर्तन

प्रश्न 11: हड़प्पा सभ्यता के नगरों के पतन के संभावित क्या कारण हो सकते हैं?

उत्तर: हड़प्पा सभ्यता के नगरों के पतन के संभावित कारण निम्नलिखित हैं:

  1. ईंट को पकाने के लिए ईंधन की जरूरत पड़ती थी, जिससे जंगलों का विनाश हो गया होगा।
  2. मवेशियों के बड़े बड़े झुंडों से घास चारागाह और घास वाले मैदान समाप्त हो गए होंगे।
  3. कुछ इलाकों में बाढ आ गई होगी|
  4. नदियों का पानी सूख गया होगा।

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